कालसर्प दोष शान्ति पूजन व्यक्ति के जन्मांग चक्र में राहु और केतु की स्थिति आमने सामने की होती है। दोनों 180 डिग्री पर रहते हैं। यदि बाकी सात ग्रह राहु केतु के एक तरफ हो जाएं और दूसरी ओर कोई ग्रह न रहे, तो ऐसी स्थिति में कालसर्प योग बनता है। ग्रहों की राहु एवं केतु के बीच स्थिति अलग अलग हो सकती है और इन स्थितियों के अनुसार इस योग का जातक के जीवन में प्रभाव हो सकते है |
कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव को दूर करने का एकमात्र उपाय कालसर्प शान्ति पूजा है। यह अनिवार्य है कि यह पूजा समय से की जाए। काल सर्प शांति पूजा एक बहुत ही सकारात्मक प्रभाव लाती है। यह कालसर्प दोष के भयानक परिणाम को कम करने में सहायता करती है। हमारे द्वारा वैदिक विधि से सम्पन्न किया जाता है|.